ग्रीन बिल्डिंग (Green building)
हाल ही में भारत में हरित भवनों को बढ़ावा देने के लिये ऊर्जा और संसाधन संस्थान (Energy and Resources Institute - TERI) और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित गृह (Green Rating for Integrated Habitat Assessment-GRIHA) नामक एक गैर-लाभकारी सोसाइटी द्वारा एक मूल्यांकन प्रतिशत जारी किया गया है।
यह एक रेटिंग प्रणाली है जो कुछ खास राष्ट्रीय स्तर के स्वीकार्य मानकों पर इमारत के प्रदर्शन को आँकने में लोगों की सहायता करती है।
इस रेटिंग सिस्टम द्वारा प्रदत्त अनुमान के अनुसार, भारत की 2% से भी कम इमारतें ‘हरित भवन’ (green building) है। हालाँकि, इनकी संख्या में बढोत्तरी होने की प्रबल संभावनाएँ है क्योंकि अगले 20 वर्षों में देश का करीब 60 प्रतिशत आधारभूत ढाँचा ग्रीन बिल्डिंग के तहत तैयार होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण के लिये एक व्यावहारिक और जलवायु के प्रति सजग दृष्टिकोण है। ग्रीन बिल्डिंग यानी हरित भवन को पर्यावरण को ही ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है।
इनसे पर्यावरण को किसी तरह की क्षति नहीं पहुँचती है। इन भवनों के आस-पास बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाए जाते है ताकि तापमान को नियंत्रित किया जा सके।
हाल ही में भारत में हरित भवनों को बढ़ावा देने के लिये ऊर्जा और संसाधन संस्थान (Energy and Resources Institute - TERI) और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित गृह (Green Rating for Integrated Habitat Assessment-GRIHA) नामक एक गैर-लाभकारी सोसाइटी द्वारा एक मूल्यांकन प्रतिशत जारी किया गया है।
यह एक रेटिंग प्रणाली है जो कुछ खास राष्ट्रीय स्तर के स्वीकार्य मानकों पर इमारत के प्रदर्शन को आँकने में लोगों की सहायता करती है।
इस रेटिंग सिस्टम द्वारा प्रदत्त अनुमान के अनुसार, भारत की 2% से भी कम इमारतें ‘हरित भवन’ (green building) है। हालाँकि, इनकी संख्या में बढोत्तरी होने की प्रबल संभावनाएँ है क्योंकि अगले 20 वर्षों में देश का करीब 60 प्रतिशत आधारभूत ढाँचा ग्रीन बिल्डिंग के तहत तैयार होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण के लिये एक व्यावहारिक और जलवायु के प्रति सजग दृष्टिकोण है। ग्रीन बिल्डिंग यानी हरित भवन को पर्यावरण को ही ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है।
इनसे पर्यावरण को किसी तरह की क्षति नहीं पहुँचती है। इन भवनों के आस-पास बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाए जाते है ताकि तापमान को नियंत्रित किया जा सके।
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