Tuesday, November 06, 2018

लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट (Living Planet Report), 2018

 लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट (Living Planet Report), 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में WWF (World Wildlife Fund) ने अपनी लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2018 जारी की है। इस रिपोर्ट में वन्यजीवन पर मानवीय गतिविधियों के भयानक प्रभाव के साथ-साथ जंगलों पर पड़ने वाले प्रभाव, प्रजातियों के विलुप्तिकरण, सीमाओं के संकुचन तथा समुद्र पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी चर्चा की गई है। रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि 1970 के बाद मानवीय गतिविधियों की वज़ह से वन्यजीवों की आबादी में 60 प्रतिशत तथा वेटलैंड्स में 87 प्रतिशत की कमी आई है।

इस रिपोर्ट में प्रजातियों का वितरण, विलुप्त होने का जोखिम और सामुदायिक संरचना में आने वाले बदलावों को मापने वाले तीन अन्य संकेतकों के बारे में भी चर्चा की गई। ये तीनों मानक गंभीर गिरावट या परिवर्तन को प्रदर्शित करते हैं।

 लिविंग प्लैनेट इंडेक्स

लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (Living Planet Index - LPI), दुनिया भर से प्रजातियों की कशेरुकी (vertebrate) आबादी में आने वाले रुझानों के आधार पर वैश्विक जैविक विविधता की स्थिति का संकेतक है।

सर्वप्रथम, वर्ष 1998 में इसे प्रकाशित किया गया था। यह रिपोर्ट वर्ष में दो बार प्रकाशित की जाती है।

जैव विविधता के सम्मेलन (Convention of Biological Diversity-CBD) द्वारा 2011-2020 के लक्ष्य 'जैव विविधता के नुकसान को रोकने के लिये प्रभावी और तत्काल कार्रवाई करने' की दिशा में प्रगति के संकेतक के रूप में इसे अपनाया गया है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

रिपोर्ट के इस संस्करण में मृदा जैव विविधता का खंड नया है। रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक मृदा जैव विविधता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। वेटलैंड्स का गायब होना भारत के लिये गंभीर चिंता का विषय है।

इस रिपोर्ट में प्राकृतिक आवास का ह्रास या कमी, संसाधनों का अत्यधिक दोहन, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण एवं आक्रामक प्रजातियों से होने वाले खतरों को भी सूचीबद्ध किया गया है।

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